Thursday, March 5, 2009

सूरजकुंड मेले में छाया रहा काठी नृत्य

‘‘काठी‘‘ लोक नृत्य मध्यप्रदेश की परम्परागत नृत्य है। इस नृत्य ने ना केवल सूरजकुंड मेले में धूम मचाया बल्कि ये विदेशों में भी लोकप्रिय है। इस नृत्य के ज़रिए नृतक भगवान शिव की परिणय यात्रा की गाथा गाते हुए नाचते हैं। ये कथा इतनी लंबी होती है कि सात दिन पश्चात खत्म होती है। इनकी वेशभूषा रंगबिरंगी होती है, ये स्वांग बनाते हैं तब इस नृत्य को करते हैं।कलाकारों से बातचीत करने पर पता चला कि इस नृत्य को केवल पुरूष नृतक ही करते हैं। मध्यप्रदेश से आए कलाकार नृत्यकला समिति से जुड़े हुए हैं और 1986 से इस नृत्य को कर रहे हैं। हालांकि सूरजकुंड मेले में ये पहली बार ही आए है। लेकिन इनका उत्साह देखते ही बनता है। दिनभर नाच कर ये लोगों को मंत्रमुग्ध कर रहे थे। भारत सरकार के द्वारा ये पूरे भारत में भ्रमण करते रहते हैं और मध्यप्रदेश के इस कला को अन्य प्रदेशों में बिखरते रहते हैं। यंू तो मध्यप्रदेश से आए मिट्टी की मूर्तियां, साजसज्जा के भी सामान है लेकिन ये नृत्य इन सब से आकर्षक है।

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